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खबर - 1
हिम्मत और हौंसले वालों की बदल दी जिंदगी
ऋषिकेश, 15 फरवरी 2025: उत्तराखंड की सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलनों की अग्रणी नेत्री बिमला बहुगुणा का देहांत हो गया है। वह न केवल उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले आंदोलनों की प्रमुख हस्ती थीं, बल्कि अपने पति सुंदरलाल बहुगुणा के साथ मिलकर समाज और पर्यावरण के लिए समर्पित जीवन जीने वाली महिला थीं। उनका जीवन और संघर्ष उत्तराखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
सुंदरलाल बहुगुणा और बिमला नौटियाल दोनों सिराई व मालीदेवल गांव पट्टी जुवा टिहरी गढ़वाल (अब उत्तराखंड) के प्रतिष्ठित परिवारों से ताल्लुक रखते थे। सुंदरलाल के पिता अम्बादत्त बहुगुणा और बिमला के पिता नारायणदत्त नौटियाल रियासत काल में बड़े अधिकारी थे। हालांकि, दोनों के घर में विद्रोही संतानों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने परिवार की परंपरागत राह छोड़कर समाज सेवा और राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लिया। सुंदरलाल बहुगुणा ने लाहौर से शिक्षा प्राप्त की और भारत की आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वहीं, विमला नौटियाल ने सरला बहन (गांधीजी की शिष्या) के आश्रम, लक्ष्मी आश्रम कौसानी में शिक्षा प्राप्त की और समाज सेवा की ओर झुकाव रखा।
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खबर - 2
आदिस्वर्गाश्रम ट्रस्ट के श्री राधा कृष्ण मंदिर से मूर्तिया चुरा ले गए चोर, जांच में जुटी पुलिस
स्वर्गाश्रम-जौंक, 15 फरवरी 2025: नगर पंचायत स्वर्गाश्रम-जौंक वार्ड-03 स्थित स्वर्गाश्रम ट्रस्ट के समाधि में श्री राधा कृष्ण मंदिर में पूजा के लिए रखी गई 6-6 इंच की तीन पीतल धातु की मूर्तियां और छतर चोर चुरा ले गए। पुलिस मामले में जांच कर रही है।
लक्ष्मण झूला थाना के एसएसआई अरविंद कुमार ने बताया कि घटना शुक्रवार देर रात की है। आस पास के सीसीटीवी से फुटेज लेकर चोरों की पहचान की जा रही है । उन्होंने बताया की वे टीम के साथ स्वयं मौके पर गए थे। वही स्थानीय लोगों का कहना है कि साधु के भेष में अराजकत्व के लोग घूम रहे है लेकिन पुलिस इनका वेरिफिकेशन नहीं कर रही है। जिससे आए दिन चोरी की वारदातें हो रहती है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शिव चन्द्र राय का कहना है कि अब भगवान का घर भी सुरक्षित नहीं रहा। पुलिस को गश्त बढ़ाने के साथ ही अराजकतत्व लोगों का सत्यापन करवाना चाहिए।।
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खबर - 3
कमल बहादुर क्षेत्री अखिल भारतीय केंद्रीय विद्यालय गैर शैक्षिक कर्मचारी संघ के संगठन सचिव बने
ऋषिकेश, 15 फरवरी 2025: नई दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय केंद्रीय विद्यालय गैर शैक्षिक कर्मचारी संघ की राष्ट्रीय स्तर की आम सभा बैठक जेएनयू में 08 फरवरी को संपन्न हुई।
बैठक का उद्घाटन केंद्रीय विद्यालय संगठन के संयुक्त आयुक्त सोमित श्रीवास्तव ने किया। बैठक में भारत के 25 संभागों के अध्यक्षों सचिव एवं पदाधिकारी ने भाग लिया। इस बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय विद्यालय संगठन दिल्ली संभाग के सहायक आयुक्त देव कुमार, चुनाव अधिकारी दिल्ली हाई कोर्ट के वकील नानक चन्द चौहान जी की उपस्थिति में यह चुनाव संपन्न किया गया जिसमें पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय रायवाला के कमल बहादुर क्षेत्री को संगठन सचिव नियुक्त किया गया।______________________________________________
खबर - 4
प्रभु सिमरन से कटेंगे माया रुपी बंधन : इंद्रजीत शर्मा
ऋषिकेश, 15 फरवरी 2025: सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं राजपिता रमित जी के आशीर्वाद से संत निरंकारी सत्संग भवन ऋषिकेश में विशाल समागम का आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली से आए केंद्रीय ज्ञान प्रचारक महात्मा इंद्रजीत शर्मा में सद्गुरु का आशीर्वाद प्रदान किया।
उन्होंने कहा कि सिमरन करने से ही यह मन परमात्मा से जुड़ जाता है अन्यथा इंसान माया रुपी बंधनों में ही फंसा रहता है और परमात्मा को भूल जाता है। इंसान को निरंतर इस प्रभु परमात्मा का सिमरन करते रहना चाहिए, सिमरन से ही इंसान बंधनों से मुक्त होकर भक्ति को प्राप्त कर सकता है।
उन्होंने कहा की परमात्मा तीन काल सत्य है और यह संसार मिथ्या है लेकिन लेकिन हम संसार को ही सत्य मान बैठे हैं सिमरन करने से ही यह संसार मिथ्या और परमात्मा सत्य नजर आने लगता है। इंसान इस मिथ्या संसार में ही से ही प्रेम करता है परमात्मा से व्यवहार करता है।
महात्मा सिद्धार्थ का उदाहरण देते हुए समझाया कि मोक्ष शरीर को नहीं आत्मा को होता है शरीर तो माध्यम है जब आत्मा का नाता परमात्मा से जुड़ जाता है तो मोक्ष की प्राप्ति संभव हो जाती है। संसार में सत्य की जानकारी केवल सद्गुरु ही करवा सकता है।
कहां कि एको ब्रह्म द्वितीतो ना अस्ति इस चराचर जगत में परमात्मा का ही अंश सबमें विद्यमान है दूसरा कोई है ही नहीं सब एक ही है इस बात की जानकारी सतगुरु ज्ञान के द्वारा करवाते है फिर सारे भ्रम, उच्च नीच का भेदभाव समाप्त हो जाता है कोई छोटा कोई बड़ा नहीं रहता सबके अंदर ईश्वर प्रभु परमात्मा का ही नूर नजर आने लगता है।
कार्यक्रम में ब्रांच संयोजक, ज्ञान प्रचारक, सेवादल के महात्मा एवं सैकड़ो भाई बहन उपस्थित रहे।
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खबर - 5
समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने किया सम्मानित
ऋषिकेश, 15 फरवरी 2025: भारद्वाज मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से आयोजित आधार कैंप के दौरान समाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया गया। सम्मान कार्यक्रम कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रतिभाग किया।
अपर गंगानगर स्थित चामुंडा मंदिर के समीप आयोजित कार्यक्रम का शुभांम्भ मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने किया। कहा कि समाजसेवा, दीन-दुखियों के प्रति समर्पण, शिक्षा, संस्कृति- संस्कार और राष्ट्र धर्म के संरक्षण की मूल भावना से संकल्पित भारद्वाज मैमोरियल ट्रस्ट एक समाजिक संस्थान है। इसकी सेवाएं, धर्म, जाति, सम्प्रदाय की संकुचित सीमाओं से परे मानव मात्र के लिए समान है।
अग्रवाल ने कहा कि समाजसेवा से राष्ट्र सेवा, दीन-दुखियों की सेवा, गरीब बच्चों की निःशुल्क शिक्षा, दिव्यागं व्यक्तियों की सेवा, गरीब बीमार व्यक्तियों की सेवा आदि की जा रही है, जो सराहनीय है।
इस अवसर पर उन्होंने कराटे कोच शिवानी गुप्ता, पैरा ओलंपिक खिलाड़ी नीरजा गोयल, विशाल शर्मा, अजय कुमार बर्मन, रमेश जोशी, प्रकाश पोखरियाल, शम्भू भट्ट, बिशम्बर दत्त डोभाल, रमेश जोशी, मूलचंद वर्मा समेत 31 लोगों को सम्मानित किया। वहीं, इस दौरान 100 से अधिक लोगों ने आधार कार्ड कैंप का लाभ उठाया।
इस मौके पर मेयर शम्भू पासवान, ब्लॉक प्रमुख भगवान सिंह पोखरियाल, ट्रस्ट जिलाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, अध्यक्ष वीरेंद्र भारद्वाज, संरक्षक राधेश्याम भारद्वाज, सचिव सुरेश भारद्वाज, वीरेंद्र गुप्ता, पार्षद सुनीता भारद्वाज, रामकुमार संगर, लक्ष्मण कश्यप, विजय शर्मा, संजय कौशिक, सुशील सैनी, सीताराम, अमर सिंह गुर्जर, सीमा रानी, मोनिका गर्ग, राजकुमारी पंत, रमेश अरोड़ा, बृजमोहन मनोड़ी, एकांत गोयल आदि मौजूद रहे।
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खबर - 6
नशा तस्कर मारकण्डेय जयसवाल स्मैक सहित गिरफ्तार, करीब 4.50 लाख रु. की 15.23 ग्राम स्मैक हुई बरामद
ऋषिकेश, 15 फरवरी 2025: कोतवाली ऋषिकेश पुलिस ने तीर्थ नगरी के शातिर नशा तस्कर मारकंडे जायसवाल को इसमें सहित गिरफ्तार किया है। तस्कर के कब्जे से लगभग 4.50 लाख मूल्य की 15.23 ग्राम स्मैक बरामद हुई है। आरोपी के विरुद्ध एनडीपीएस, आबकारी अधिनियम, आर्म्स एक्ट सहित 19 मामले विभिन्न थानों में दर्ज है।
कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक राजेंद्र सिंह खोलिया ने बताया कि बीते शुक्रवार को कोतवाली ऋषिकेश पुलिस टीम द्वारा बस अड्डा ऋषिकेश के पास आकास्मिक चेकिंग के दौरान मारकण्डेय जयसवाल पुत्र स्व. उमेश जायसवाल को 15.23 ग्राम अवैध स्मैक के साथ गिरफ्तार किया गया। यह व्यक्ति कोतवाली ऋषिकेश का हिस्ट्रीशीटर है, जो पूर्व में भी नशा तस्करी में जा जेल चुका है। आरोपी को पुलिस की ओर से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां से उसे न्याय कभी रक्षा में जेल भेज दिया गया।
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खबर - 7
निर्धन, असहाय, बालिकाऐं ही हमारे वास्तविक जीवन की ‘नंदा सुनंदा’ देवीः डीएम
देहरादून, 15 फरवरी 2025: जिलाधिकारी सविन बंसल ने गरीब अनाथ, असहाय बालिकाओं स्नातक, स्नात्तकोत्तर एवं कौशल शिक्षा की जिम्मेदारी उठाते बालिकाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। इसके लिए डीएम ने बालिकाओं की शैक्षणिक भविष्य संवारने के लिए जनपद में प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ शुरू किया है, जिसमें बालिकाओं के चयन के लिए ( बहु विषयक ) समिति बनाई है, जिससे चयन निष्पक्ष, पारदर्शी एवं वास्तविक हो।
जनपद में प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ का आज जिलाधिकारी सविन बंसल एवं मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने 07 बालिकाओं को संयुक्त रूप से 2 लाख 44 हजार 7 सौ 31 रुपए का चैक वितरण कर योजना का विधिवत शुभारंभ किया। अनाथ रोशनीं, असहाय एवं गरीब बेटियों रोनक, शशांक, मीना, आकांश, मानसी साहू एवं विधि को “नन्दा सुनंदा प्रोजेक्ट“ और “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ“ योजना के तहत, जिला प्रशासन द्वारा वित्तीय सहायता दी गई। इन बालिकाओं का चयन उनकी विषम परिस्थितियों को देखते हुए किया गया है, ताकि वह उच्च शिक्षा/कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्म निर्भर बन सकें। जिनमें अनाथ रोशनी को श्री गुरू राम राय विश्वविद्यालय, देहरादून से बी.एससी (योगिक साइंस) कोर्स के लिए 28 हजार 9 सौ 75 रुपए की सहायता राशि दी। जबकि सहाय एवं गरीब, रोनक राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से स्नातक की पढाई के लिए 25,000 हजार रुपए शशांक को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से 12वीं अध्ययन के लिए 15,000 रुपए मीना को पूजा मेकओवर, ठाकुरपुर चौक, डांडी, मोथरोवाला, देहरादून से ब्यूटीशियन कोर्स के लिए 50,000 रुपए अकांक्षा को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से 12वीं अध्ययन के लिए 15,000 रुपए मानसी साहू को उत्तरांचल विश्वविद्यालय, देहरादून से पीएचडी की पढ़ाई के लिए 52 हजार 500 रुपए तथा विधि को उत्तरांचल विश्वविद्यालय देहरादून से होटल मैनेजमेंट का कोर्स के लिए 58,श हजार 2 सौ 56 रूपये की अर्थिक सहायता दी।
योजना के शुभारंभ अवसर पर जिलाधिकारी से बालिकाओं ने अपने भावी भविश्य निर्माण की संकल्प साझा किए, वहीं जिलाधिकारी ने उत्सुकता से जाना बालिकाओं के सपनों की उड़ान की बाते, कहा कि आप सभी के सपनों को साकार करने में जिला प्रशासन हर संभव मदद करेंगे। साथ ही जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी, डीपीओ (आईसीडीएस) का विशेश आभार जताते हुए कहा कि इस नेक आडिया को मूर्त रूप देने में उत्साह पूर्वक सहयोग किया।
जिलाधिकारी के ‘प्रोजेक्ट नंदा-सुनंदा’ से जिले की गरीब, अनाथ एवं असहाय तथा अन्य विषम परिस्थितियों में अध्ययन कर रही बालिकाओं को उच्च शिक्षा स्तर तक शिक्षित करने एवं कौशल शिक्षा प्रदान करते हुए रोजगार से जोड़ा जाएगा। समिति के सदस्यों द्वारा अग्रिम कार्यवाही किये जाने की सहमति के क्रम में गरीब, अनाथ एवं असहाय तथा अन्य विषम परिस्थितियों में अध्ययन कर रही बालिकाओं को न्यूनतम स्नातक स्तर तक शिक्षित किये जाने एवं कौशल शिक्षा प्रदान करते हुए रोजगार से जोड़ने हेतु कार्ययोजना निर्धारित की गई है। बालिकाओं का चयन जनता दरबार एवं बहुद्देशीय शिविरों में जनपद में विभिन्न सरकारी कार्यालयों के माध्यम ये प्राप्त प्रार्थना पत्र, जिला प्रोबेशन अधिकारी एवं जिला समाज कल्याण अधिकारी के अधीन बालिका गृहों में निवासरत बालिकायें, जनपद की समस्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ती के माध्यम से सर्वे के आधार पर किया जाएगा। जिलाधिकारी सविन बंसल ने यह अभिनव कार्य जनपद नैनीताल में डीएम रहते भी कर चुके है, उक्त प्रोजेक्ट के तहत उन्होने 60 बालिकाओं को शैक्षणिक विकास में समृद्ध, सशक्त, सुदृढ़ कर भविश्य को संवारा है। जिलाधिकारी का यह अभिनव कार्य जनपद देहरादून के उन बालिकाओं के लिए सपने साकार करने का एक सुनहरा अवसर है, जो आर्थिकीय तंगी, पारिवारिक असहाय के चलते स्कूली शिक्षा छोड़कर अपना जीवन व्यतीत कर रही है। प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ उन बालिकाओं की सपनों को साकार करने में जिलाधिकारी का यह प्रयास सार्थक साबित होगी।
इस अवसर पर उपजिलाधिकारी न्यायिक कुमकुम जोशी, डीपीओ (आईसीडीएस) जितेन्द्र कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी पूनम चमोली, प्रशासनिक अधिकारी कपिल कुमार सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।
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नरेंद्रनगर, 15 फरवरी 2025: सेवानिवृत्ति राजकीय पेंशनर संगठन की बैठक आज कर्मचारी कल्याण क्लब नरेंद्र नगर में संपन्न हुई जिसमें राजकीय सेवानिवृत्ति पेंशनर संगठन के सदस्यों के द्वारा गोल्डन कार्ड की खामियां तथा शहर में भूमि बंदोबस्त पर विस्तार से चर्चा की गई।
सेवानिवृत कर्मचारियों ने मांग की कि ग्राम/ शहर की भूमि बंदोबस्त का कार्य शासन एवं प्रशासन के द्वारा तत्काल किया जाए, तथा शासन स्तर से भू अभिलेख उपलब्ध न होने पर उप जिला अधिकारी नरेंद्र नगर को यथाशीघ्र भू अभिलेख उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध किया। उक्त प्रकरण पर शासन सचिव उत्तराखंड सरकार के द्वारा भी अपने पत्राक 639 दिनांक 26 अगस्त 2021 के द्वारा भी अवगत कराया गया है कि नरेंद्र नगर का भू अभिलेख उपलब्ध न होने के कारण भूमि बंदोबस्त का नोटिफिकेशन अभी तक नहीं हुआ है। जिस पर सेवानिवृत्ति कर्मचारी संगठन के द्वारा जिला अधिकारी टिहरी गढ़वाल से मांग की कि नरेंद्र नगर शहर/ ग्रामीण का भू अभिलेख शासन को अवगत कराया जाए ताकि भूमि बंदोबस्त का कार्य नरेंद्र नगर में हो सके।
सेवानिवृत्ति राजकीय पेंशन संगठन की अध्यक्ष धर्म सिंह चौहान ने कहा कि जिस भी किसी सेवानिवृत कर्मचारियों के गोल्डन कार्ड बंद है उन्हें तत्काल शासन स्तर से बहाली हेतु कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी ताकि पेंशनरों को इसका लाभ मिल सके। साथ ही जिन कर्मचारियों के पेंशनरों के गोल्डन कार्ड नहीं बने हैं उन्हें तत्काल बनाया जाए। तथा उन्होंने यह भी मांग की कि चिकित्सालय में संगठन के लोगों को ओपीडी निशुल्क की जाए। समस्त सेवानिवृत पेंशनर कर्मचारियों के द्वारा अपने कार्यालय भवन की जीर्णछीड स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की तथा आपसी सहयोग से इसको सजाने एवं संवारने का निर्णय लिया।
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खबर - 9
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने चिपको आंदोलन का नाम देने वाली श्रीमती विमला बहुगुणा (93) के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए
स्पष्ट एक्सप्रेस।
देहरादून, 15 फरवरी 2025: आज उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा चिपको आंदोलन का नाम देने वाली श्रीमती विमला बहुगुणा (93) के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी व प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि स्व सुंदरलाल बहुगुणा जी को हर संघर्ष औऱ अभियान में बराबर सहयोग औऱ बल देने वाली हमारी मातृशक्ति विमला बहुगुणा जी ने बखूबी अपनी जिम्मदारी को निभाया, साथ ही दोनों ही शख्सियत हमारे प्रदेश के लिए बड़े गौरव की बात थी। दोनों ही महान विभूतियों को देश दुनियां में बड़ा मान सम्मान दिया। इसके बावजूद हमेशा सामान्य जीवन जीते थे औऱ अन्तिम सांस तक हिमालय कें प्रति जनजागरण के साथ-साथ जंगलों को पर्यावरण के साथ आर्थिकी से जोड़ने के लिए अलख जगाकर रखी।
प्रदीप कुकरेती ने बताया कि अभी गत माह सुंदरलाल बहुगुणा जी की जयन्ती के अवसर पर पुस्तक विमोचन के अवसर पर उनके विचारों को पढ़ा गया, कई लोगों के लिए वो अन्तिम दर्शन ही थे।
महासचिव रामलाल खंडूड़ी ने कहा कि अब हमारी औऱ नई पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि उनके अभियान को आगे केसे बढ़ाएं औऱ जन-जन तक फैलाने का कार्य करना होगा।
उनकी आत्म शान्ति की प्रार्थना हेतु सलाहकार केशव उनियाल, जगमोहन सिंह नेगी, युद्धवीर सिंह चौहान, रामलाल खंडूड़ी, प्रदीप कुकरेती, विजय बलूनी, प्रेम सिंह नेगी, जबर सिंह पावेल, सुरेश नेगी, बलबीर सिंह नेगी, धर्मानन्द भट्ट, संतन सिंह रावत, सुशील विरमानी, नरेश नेगी, मनोज नौटियाल, संजय तिवारी, रघुवीर तोमर, हरि सिंह मेहर, सुशील चमोली, विनोद असवाल, प्रभात डण्डरियाल, सुरेन्द्र रावत, सुलोचना भट्ट, राधा तिवारी, पुष्पलता सिलमाणा, तारा पाण्डे, पुष्पा रावत, संगीता रावत, नरेन्द्र नौटियाल, नारायण सिंह नेगी, मोहन सिंह रावत, अरुणा थपलियाल, रामेश्वरी रावत, लक्ष्मी बिष्ट, अनीता रावत, सुबोधिनि भट्ट, संगीता रावत, जयन्ती बलूनी, रामेश्वरी नेगी, सरोज कण्डवाल, शान्ति कैतुरा, सुभागा फर्स्वाण, अनीता रावत, गीता नेगी, यशोदा रावत आदि थे।
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खबर - 10
बिमला बहुगुणा : विनम्र श्रद्धांजलि!
ऋषिकेश, 15 फरवरी 2025:
... उनका जीवन और संघर्ष उत्तराखंड की इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है: उत्तराखंड की सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलनों की अग्रणी नेत्री बिमला बहुगुणा का देहांत हो गया है। वह न केवल उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले आंदोलनों की प्रमुख हस्ती थीं, बल्कि अपने पति सुंदरलाल बहुगुणा के साथ मिलकर समाज और पर्यावरण के लिए समर्पित जीवन जीने वाली महिला थीं। उनका जीवन और संघर्ष उत्तराखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। सुंदरलाल बहुगुणा और बिमला नौटियाल दोनों सिराई व मालीदेवल गांव पट्टी जुवा टिहरी गढ़वाल (अब उत्तराखंड) के प्रतिष्ठित परिवारों से ताल्लुक रखते थे। सुंदरलाल के पिता अम्बादत्त बहुगुणा और बिमला के पिता नारायणदत्त नौटियाल रियासत काल में बड़े अधिकारी थे। हालांकि, दोनों के घर में विद्रोही संतानों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने परिवार की परंपरागत राह छोड़कर समाज सेवा और राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लिया। सुंदरलाल बहुगुणा ने लाहौर से शिक्षा प्राप्त की और भारत की आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वहीं, विमला नौटियाल ने सरला बहन (गांधीजी की शिष्या) के आश्रम, लक्ष्मी आश्रम कौसानी में शिक्षा प्राप्त की और समाज सेवा की ओर झुकाव रखा।
संकल्प और त्याग: 1956 में, जब सुंदरलाल और बिमला के बीच रिश्ते की बात चली, तो बिमला ने एक शर्त रखी: सुंदरलाल को राजनीति छोड़नी होगी और दूरस्थ गांवों में जन सेवा का संकल्प लेना होगा। यह शर्त उस समय की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए बहुत बड़ा त्याग था। सुंदरलाल ने इस शर्त को स्वीकार किया और दोनों ने टिहरी से 40 किलोमीटर दूर सिलियारा गांव में एक छोटा सा आश्रम बनाया। यह आश्रम उनके सहजीवन और समर्पण की शुरुआत थी।
1960 के दशक में शराबबंदी आंदोलन: 1960 के दशक में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में शराबबंदी आंदोलन चला। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य शराब के दुष्प्रभावों से समाज को मुक्त करना था। शराब से कईयों के परिवार बर्बाद हो रहे थे। 1965 में घनसाली व 1971 में टिहरी में शराब की दुकान बंद कराने के लिए बिमला बहुगुणा ने अपने पति के साथ इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।उन्होंने महिलाओं को संगठित किया और शराब के खिलाफ जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रयासों से कई गाँवों में शराब की बिक्री पर रोक लगी और समाज में एक नई चेतना का संचार हुआ।
चिपको आंदोलन में भूमिका: 1979 में, टिहरी (अब उत्तराखंड) के कीर्तिनगर क्षेत्र में वनों की कटान के खिलाफ एक महत्वपूर्ण आंदोलन शुरू हुआ। यह आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय लोगों के जीवन, आजीविका और सांस्कृतिक परंपराओं को बचाने के लिए भी था। इस आंदोलन की अगुवाई बिमला बहुगुणा और उनके पति सुंदरलाल बहुगुणा ने की। बिमला बहुगुणा ने इस संघर्ष में न केवल पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई, बल्कि यह भी साबित किया कि महिलाएं सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय संरक्षण के आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं। कीर्तिनगर के जंगलों को बचाने का यह आंदोलन स्थानीय लोगों के अधिकारों और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक था। वनों की कटान से न केवल पेड़ों का नुकसान हो रहा था, बल्कि स्थानीय समुदायों की आजीविका, जो वन संसाधनों पर निर्भर थी, भी खतरे में पड़ गई थी। इसके अलावा, यह क्षेत्र पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ा हुआ था, जो वनों के साथ गहराई से जुड़े हुए थे। इनके अलावा कई अन्य प्रमुख नेताओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें धूम सिंह नेगी, कुंवर प्रसून , विजय जड़धारी और राजीव नयन बहुगुणा शामिल थे। ये सभी नेता स्थानीय समुदाय के हितों और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध थे। उनके प्रयासों ने इस आंदोलन को एक व्यापक जन आंदोलन बना दिया। 1979 में एक रात, बिमला बहुगुणा और उनकी पांच सहयोगियों को रात के तीन बजे गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी तब हुई जब वे अपने अधिकारों और पर्यावरण के लिए संघर्ष कर रही थीं। बिमला को सहारनपुर जेल भेज दिया गया। उनके साथ उनका 6 वर्षीय बेटा प्रदीप बहुगुणा भी जेल गया। यह घटना उस समय के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाती है, जब पर्यावरण और स्थानीय अधिकारों के लिए संघर्ष करने वालों को दबाने की कोशिश की जाती थी।
टिहरी बांध का ऐतिहासिक आंदोलन: टिहरी बांध आंदोलन भारत के उत्तराखंड राज्य में एक प्रमुख पर्यावरणीय और सामाजिक आंदोलन था, जो टिहरी बांध के निर्माण के विरोध में चलाया गया। यह बांध भागीरथी नदी पर बनाया गया था और इसका उद्देश्य पनबिजली उत्पादन, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति करना था। हालांकि, इसके निर्माण से पर्यावरण और स्थानीय समुदाय पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका थी, जिसके कारण यह आंदोलन शुरू हुआ। सुंदरलाल बहुगुणा और बिमला बहुगुणा इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन के 15 साल इस संघर्ष में लगा दिए। उन्होंने टिहरी बांध के विरोध में भी अहम भूमिका निभाई। उनका मानना था कि बांध के निर्माण से पर्यावरण को भारी नुकसान होगा, जंगलों का विनाश होगा, और स्थानीय लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। उन्होंने भागीरथी नदी के तट पर एक झोपड़ी (कुटी) में रहकर इस आंदोलन को आगे बढ़ाया। यह झोपड़ी उनके संघर्ष का प्रतीक बन गई और लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। टिहरी बांध आंदोलन एक शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन था, जिसमें सुंदरलाल बहुगुणा ने भूख हड़ताल जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने लंबी भूख हड़ताल की, जिससे सरकार और जनता का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित हुआ। बिमला बहुगुणा ने भी इस दौरान उनका पूरा साथ दिया और आंदोलन को मजबूती प्रदान की 2005 में, जब टिहरी बांध का निर्माण पूरा हो गया और टिहरी शहर को जलमग्न कर दिया गया, बिमला बहुगुणा उस शहर को छोड़ने वाली अंतिम व्यक्ति थीं। उनके विस्थापन की तस्वीरें चर्चा में रहीं, जिनमें वह झील के ऊपर नाव पर अपने देवी-देवताओं की मूर्तियों को लेकर जाती हुई दिखाई दे रही थीं। यह तस्वीरें उनके संघर्ष और त्याग की गवाही देती हैं। हालांकि टिहरी बांध का निर्माण हो गया, लेकिन सुंदरलाल और बिमला बहुगुणा के संघर्ष ने लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया। उनके प्रयासों ने यह स्पष्ट कर दिया कि विकास के नाम पर पर्यावरण और स्थानीय लोगों की अनदेखी नहीं की जा सकती। उनका आंदोलन भारत में पर्यावरणीय आंदोलनों के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
दलितों का मंदिर में प्रवेश कराया, 1995 में जमुना लाल बजाज पुरुस्कार से सम्मानित: सर्वोदयी विमला बहुगुणा एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने उत्तराखंड के चारधाम सहित कई प्रमुख मंदिरों में दलितों को प्रवेश दिलाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इस संघर्ष में बहुगुणा, का हर कदम पर उनका साथ दिया। दलितों के मंदिरों में प्रवेश के मामले में उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा। बिमला बहुगुणा ने समाज में समानता और न्याय के लिए कई वर्षों तक काम किया और उनके प्रयासों को 1995 में जमना लाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था। उनका कार्य न केवल धार्मिक समानता, बल्कि सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के क्षेत्र में भी प्रेरणादायक रहा है।
बहुगुणा जी के साथ कदम- कदम पर चली 65 साल: बिमला बहुगुणा और सुंदर लाल बहुगुणा का विवाह 1956 में हुआ था। उनका साथ 65 वर्षों तक रहा, जो एक अद्भुत और मजबूत रिश्ते का प्रतीक है। सुंदर लाल बहुगुणा का 2021 में निधन हो गया, लेकिन उनका यह लंबा और प्रेरणादायक साथ हमेशा याद किया जाएगा। उनका जीवन एकता, समर्पण और प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है।
भाई प्रसिद्ध साहित्यकार व पूर्व विधायक थे: बिमला बहुगुणा के भाई प्रसिद्ध कहानीकार और कम्युनिस्ट नेता पूर्व विधायक श्री विद्यासागर नौटियाल थे। विद्यासागर नौटियाल हिंदी साहित्य में अपनी कहानियों के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने कम्युनिस्ट राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उत्तरप्रदेश विधानसभा के लिए 1980 में वह टिहरी जिले की देवप्रयाग विस् सीट से सीपीआई के विधायक चुने गए। उनकी रचनाएँ उत्तर बायां है’, ‘यमुना के बागी बेटे’, ‘भीम अकेला’, ‘झुंड से बिछुड़ा’, ‘फट जा पंचधार’, ‘सुच्ची डोर’, ‘बागी टिहरी गाए जा’, ‘सूरज सबका है’ उनकी प्रतिनिधि रचनाएं हैं. जो बहुत चर्चाओं में रही। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का प्रयास किया। 2012 में सागर जी का 79 उम्र में निधन हो गया था।
अभी हाल ही में 9 जनवरी 2025 को सुंदर लाल बहुगुणा जी की 98 वीं जयंती पर दून लाइब्रेरी में बिमला बहुगुणा भी शामिल हुई थी। अब वह हमारे बीच नहीं रही। लेकिन उनके कामो का उल्लेख होता रहेगा। विनम्र श्रद्धांजलि।
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